मूल्यांकन एवं परीक्षा मे निम्नलिखित अन्तर है :-

परीक्षा-
१.परीक्षा का क्षेत्र संकुचित होता है।
२.परीक्षा वर्ष मे केवल निश्चित समय बाद ही आयोजित की जाती है।
३.परीक्षा से बालक की केवल शैक्षिक योग्यता ही निर्धारित होती है।
४.परीक्षा कम विश्वसनीय तथा वैध होती है।
५.परीक्षा तीन प्रकार की होती है-लिखित,मौखिक तथा प्रयोगात्मक।
६.परीक्षा से केवल वर्गीकरण तथा क्रमोन्नति ही की जा सकती है।
७.इससे प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक ही होते है।


मूल्यांकन-
१.मूल्यांकन का क्षेत्र व्यापक होता है।
२.मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया होता है।
३.मूल्यांकन से बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व तथा व्यवहार का पता चलता है।
४.मू्ल्यांकन विश्वसनीय तथा वैध होता है।
५.मूल्यांकन मे अनेको विधियो और प्रविधियो का प्रयोग होता है।
६.मूल्यांकन से छात्रो का वर्गीकरण,मार्गदर्शन,निदान तथा पूर्व कथन किया जा सकती है।
७.इससे प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक एवं गुणात्मक होते है।